राशि और सैक्स - मेष राशि

राशि और सैक्स - मेष राशि
Sign & Sex- Aries
इस राशि के पुरूष की इन्द्रिय भेड़ के समान होती है। स्त्री अंग आंवले के आकार का होता है। इस राशि की महिलाओं का चेहरा अधिक लम्बोतरा होता है। इसके स्तन भेड़ के खुर के समान फैले चकले होते हैं। उनमें उठान नहीं होता है। कमर अधिकतर स्थुल होती है।
पुरूष ज्यादातर लम्बे-चौड़े, स्वस्थ होते हैं। इनका विवाह प्रायः शीघ्र हो जाता है। यह रूक रूक कर समागम करते हैं, प्रायः पुरूष होते हैं। स्वभाव में उग्रता के कारण दाम्पत्य जीवन में कलह, मारपीट प्रायः कर डालते हैं। इसके बावजूद भी इनका दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है। परिवार का ध्यान रखते हैं। पत्नी का साथ निभाते हैं, पर सौन्दर्य प्रेमी और स्त्रियों को आकर्षित करने की क्षमता के कारण प्रायः अवैध सम्बन्ध बनाये रखते हैं। इस राशि की स्त्रियों को यदि नियन्त्रण में नहीं रखा जाये तो प्रायः पथ-भ्रष्ट हो जाती हैं। सौन्दर्य प्रियता और कला के प्रति इनके रूझान होने के कारण इनको सरलता से बहकाया जा सकता है। अधिक देर तक मैथुन इनको अच्छा लगता है। इस राशि के स्त्री पुरूष प्रेम प्रसंग प्रायः गोपनीय रखते हैं।
पृष्ठोदय राशि के कारण पीठ पीछे इनके दाम्पत्य जीवन और प्रेम प्रसंगों की लोग चर्चा करते हैं, किन्तु सामने कोई नहीं कहता। फिर यह भी गुप्त रूप से कार्य करते हैं। सतर्कता प्यारी होती है। इस राशि के जातक प्रेमपत्र बड़ी संयत और सतर्क भाषा में लिखे होते हैं। अवसर आने पर प्रेमपत्र प्रमाणित नहीं भी हो सकते हैं। प्रायः अपने इच्छित स्त्री-पुरूष से इनका प्रेम सम्बन्ध बन जाया करता है। प्रेम के मामले में ईर्ष्यालु भी होते हैं। प्रेम सम्बन्धी प्रकरणों में यह हिंसक भी हो सकते हैं। पृष्ठोदय राशि एवं गुणचार होने के कारण इनको पृष्ठ भाग से किया गया मैथुन प्रिय होता है। रात्रिबली राशि होने के कारण रात में ही मैथुन सुख अच्छा लगता है। दिन के समय किया गया मैथुन इसको अप्रिय हाता है। उसमें यह रस नहीं लेते।
चर राशि होने से यह चलायमान अर्थात् चंचल होते हैं। इस राशि की स्त्री को शरीर आघातों द्वारा या कंधे पकड़कर, निरन्तर स्तन मंथन करके हिलाते रहना चाहिये। इस राशि के पुरूष को भी इसी प्रकार की लीला में सुख मिलता है। इसी गुण के (चर) कारण इनका प्रेम किसी एक पर स्थिर नहीं रहता। इस राशि का निवास वन है अतः इसे सर्वथा एकान्त चाहिये। घर में कोई जागता रहे, भले ही न देख सके पर उसे इसका आभास होगा तो मन खट्टा हो जायेगा।जाति क्षत्रिय होने के कारण ‘लड़ाकु’ मैथुन प्रिय होता है। अपने सम्पूर्ण हथियारों के साथ एक-दूसरे पर हमला करना इनका विशेष गुण है। चतुष्पद राशि होने के कारण पशु आसन या पृष्ठ भाग से किया गया मैथुन अच्छा लगता है तथा तृप्ति अनुभव करते हैं। तत्व अग्नि होने के कारण काम दम्य रहते हैं तथा पसीना बहुत आता है। मंगल में जल है अतः यह ‘गीले’ बहुत होते हैं अर्थात् क्षण में कामोत्तेजित हो जाते हैं और इनका स्खलन अधिक मात्रा में होता है। कृतिका नक्षत्र का केवल प्रथम चरण (अ) होने के कारण इनका मैथुन कर्म बहुत कम विकृत होता हैं। प्रायः शुचिता का ध्यान रखते हैं। अश्विनी और भरणी के पूरे चारों चरण होने के कारण कुशलतापुर्वक और दृढ़ता के साथ मैथुन कर्म करते हैं।
ग्रह अधिपति गणपति (गणेश) के कारण बड़ी ही चतुराई से कामसुख भोगते हैं। धातु मज्जा होने के कारण इस राशि के पुरूष स्त्री को गर्भवती शीघ्र बनाते हैं। उसमें शुक्राणु अधिक होते हैं। इस राशि का ललाट पर अधिकार होने से उत्तेजना केन्द्र ललाट है, वैसे इस स्त्री को ललाट के अलावा अन्य स्थान (पलक, कपोल, होंठ, नाक, कान, बाल, भौहें आदि) पर भी हो सकते हैं, किन्तु चेहरे से नीचे नहीं। इस राशि की स्त्रियां यदि दशा अनुकूल हो तो प्रायः ग्रीष्म-ऋतु (वैषाख; अप्रेल-मई) में गर्भवती होती हैं। इसकी ऋतु ग्रीष्म है, अतः इस मौसम में इनमें वासना की मात्रा अधिक होती है। प्रायः गर्भाधान व प्रसव का इस राशि की स्त्री का यही समय है।इस राशि की स्त्री के केश, रोम अगर शरीर पर हुए तो बहुत मुलायम होते हैं। आकृति भेड़ होने के कारण स्त्री की त्वचा सुचिक्कण होती है और क्रिया के समय भेड़ के समान सीधेपन का व्यवहार करती है। इस राशि की महिला को सम्भोग के समय धूम्रपान करना अच्छा नहीं लगता और न ही धूम्रपान करना पसन्द करती है। इस राशि के जातक का इन्द्रियज्ञान नैत्र है, अतएव आँखों ही आँखों में यह बहुत कुछ कह डालते हैं। जिह्वा के बदले आँखों से अधिक काम लेते हैं। राशि की उच्चता के कारण अपने से अधिक श्रेष्ठ स्त्री-पुरूष की ओर विशेष झुकाव रखते हैं। आकार ढोल होने के कारण इस राशि की महिलाओं के नितम्ब बड़े होते हैं तथा पुरूषों की प्रायः तोंद निकल आती है। उमर के साथ कामुकता बढ़ती जाती है।इस राशि के जातक दोनों अश्लील वार्ता कम करते हैं और गम्भीरता ओढ़े रखते हैं। मैथुन से पूर्व, मैथुन के दौरान या उपरान्त किसी प्रकार के विकृत शब्द नहीं निकालते, इनकी क्रिया सित्कारहीन होती है, ध्वनी नहीं करते हैं। बन्द कमरे के बाहर कान लगाकर सुनना चाहें तो उसको आभास भी नहीं हो सकता है कि अन्दर क्या हो रहा है। इस क्रिया के पूर्व आलिंगन-चुम्बन भी प्रायः काम-चलाऊ ही करते हैं। समाप्ति पर चुपचाप हट जाते हैं, फिर कुछ ऐसा व्यवहार हो जाता है कि इस बात का अनुमान करना कठिन है कि अभी कुछ हुआ है। यह एकदम सामान्य हो जाते हैं।इस राशि की महिलाओं का मासिक धर्म 50 की उमर के बाद तक भी जारी रह सकता है। उन्हें प्रदर रोग आदि कम ही होते हैं। गुप्त रोग या यौन रोग प्रायः इनको नहीं होता।सन्तानों से बड़ा प्यार करते है, अनुशासन इनको प्रिय होता है। फूहड़ हंसी-मजाक इनको अच्छे नहीं लगते, किन्तु पेशाबघरों, सार्वजनिक स्थानों, रेल के डिब्बों, सैलानी स्थानों आदि पर यह गंदे शब्द और चित्र बड़ी तेजी से लिख बना देते हैं, यह इनका विशेष स्वभाव होता है। इस राशि की महिलाओं को अधिक शब्द सुनकर कान बन्द कर लेने की आदत होती है, किन्तु होठों पर मुस्कान होती है।

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